महाराष्ट्र बोर्ड की किताब, 'शादी का मकसद वंशवृद्धि'
मुंबई की एक पाठ्य पुस्तक में बच्चे पैदा करना और वंश को आगे बढ़ाना शादी का मकसद बताया गया है। 11वीं कक्षा की समाजशात्र की पुस्तक में कहा गया है कि शादी सामाजिक रूप से स्वीकृत ऐसा संबंध है जिसमें लोग अपनी यौन जरूरतों को संतुष्ट करते हैं। इसे इंसानों की नस्ल को आगे बढ़ाने के मकसद से जोड़े जाने वाले संबंधों के रूप में समझाया गया है। पाठ्य पुस्तक के नए संस्करण में यह 'विवादित' परिभाषा दी गई है। जानकारी के मुताबिक, राज्य बोर्ड की 11वीं की पुरानी पाठ्य पुस्तक में भी विवाह की परिभाषाओं को विस्तार से समझाया गया था। उसमें शादी की व्याख्या करते हुए बताया गया था कि मनुष्यों की नस्ल को आगे बढ़ाने के लिए करना विवाह का सामान्य उद्देश्य है। हालांकि, इसमें यह भी ध्यान दिलाया गया था कि शादी केवल वंशवृद्धि और सेक्शुअल सेटिस्फैक्शन के लिए हो यह जरूरी नहीं है। इसके अलावा साथ रहने का भाव, आर्थिक सहयोग और भावनात्मक संबंध भी विवाह की अन्य विशेषताएं हैं। 'यह सिर्फ दो लोगों का मिलाप नहीं...'वहीं, 11वीं के लिए जारी की गई नई पाठ्य पुस्तक में इस प्रकरण की बहुत सी चीजों की छंटनी कर दी गई है। नए पाठ्यक्रम में बताया गया है कि विवाह मानवीय नस्ल को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है और यह दो लोगों के बीच सामाजिक रूप से स्वीकृत एक सेक्शुअल यूनियन है। इसमें सिर्फ दो लोगों का मिलाप नहीं होता बल्कि यह लोगों की एक विस्तृत श्रृंखला को जोड़ता है। पुस्तक में बताया गया है कि शादी वंश वृद्धि के मकसद से सामाजिक रूप से स्वीकृत यौन संबंधों में प्रवेश करने का पैटर्न है। इसके अलावा किताब में यह भी बताया गया है कि लोगों की यौन जरूरतों को संतुष्ट करने के लिए शादी सोशली अप्रूव्ड रिलेशन है। इसका सामान्य मकसद बच्चे पैदा करना है। लेखक ने दी सफाईइस मामले को लेकर जब पाठ्य पुस्तक के एक लेखक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जगह की उपलब्धता की शर्तों की वजह से किताब से कुछ हिस्सों को हटाया गया है। वहीं, पाठ्यक्रम निर्धारित करने की प्रक्रिया की मुख्य कोऑर्डिनेटर प्राची साठे ने बताया कि हमने पाठ्यक्रम से कोई चीज नहीं हटाई है बल्कि कई नए कॉन्सेप्ट्स को शामिल किया है। उन्होंने आगे बताया कि इस चैप्टर को 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में और ज्यादा विस्तार के साथ पेश किया जाएगा, जो अगले साल प्रकाशित होकर आएगा। गौरतलब है कि राज्य बोर्ड की पाठ्य पुस्तक का प्रकाशक बालभारती हर साल पाठ्यक्रम में कुछ तब्दीली करता है। इसी क्रम में पाठ्यक्रम में यह कांट-छांट की गई है। यह खबर अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां करें
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