CAA-NRC: छोटा पड़ गया भिवंडी का 'शाहीन बाग'

मुंबई नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए), एनआरसी और एनपीआर का विरोध करने के लिए संविधान बचाओ संघर्ष समिति द्वारा मिल्लत नगर के पास आंदोलन शुरू हो गया है। दिल्ली के शाहीनबाग की तर्ज पर शुरू हुए इस आंदोलन में हजारों महिलाएं शामिल हुईं। आंदोलन में इतनी तादाद में महिलाएं पहुंच गईं कि मिल्लत नगर का मैदान छोटा पड़ गया। बड़ी संख्या में महिलाएं मैदान के बाहर भिवंडी-नासिक रोड पर खड़ी रहीं। आंदोलन में कई महिलाएं तिरंगा लहरा रही थीं। यहां सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ नारेबाजी की गई। महिलाओं ने इंकलाब जिंदाबाद और फासीवाद मुर्दाबाद के नारे लगाए। इस आंदोलन को भिवंडी के पूर्व पुलिस उपायुक्त सुरेश खोपडे ने संबोधित किया। इस दौरान मंच पर 'संविधान बचाओ संघर्ष समिति' के संयोजक ऐड. किरण चन्ने, कॉम. विजय कांबले और मोहम्मद अली शेख भी मौजूद थे। सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग में एक महीने से भी अधिक समय से आंदोलन किया जा रहा है। देश और दुनिया के लिए शाहीनबाग का आंदोलन एक मिसाल बन गया है और इसी की तर्ज पर देश के विभिन्न शहरों के उन मैदानों को शाहीनबाग कहा जाने लगा है, जहां सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं। संविधान बचाओ संघर्ष समिति की भिवंडी इकाई को यह उम्मीन नहीं थी कि आंदोलन के पहले ही दिन यहां इतनी बड़ी तादाद में महिलाएं अपने घरों से निकल आएंगी कि भिवंडी का यह शाहीनबाग छोटा पड़ जाएगा। भिवंडी के इस शाहीनबाग में 200 से अधिक महिलायें रात में भी मौजूद रहेंगी। संघर्ष समिति ने बिजली और खाने सहित विभिन्न व्यवस्थाएं की हैं। पढ़ी गई संविधान की प्रस्तावना भिवंडी के शाहीनबाग आंदोलन का शुभारंभ संविधान की प्रस्तावना पढ़कर किया गया। 'संविधान बचाओ संघर्ष समिति' के संयोजक ऐड. किरण चन्ने ने इसका पाठ किया। इस दौरान पालघर से आईं आदिवासी महिलाओं ने आदिवासियों का पारंपरिक नृत्य किया। छात्रों द्वारा झांकी निकालकर एनआरसी और सीएए का विरोध व्यक्त किया गया। दुबई से आए शायर नबील अजीम ने एनआरसी के विरोध को लेकर अपनी रचनाएं पढ़ीं। सरकार ने लोगों में भय पैदा किया शाहीनबाग आंदोलन में शामिल लोगों को संबोधित करते हुए पूर्व पुलिस उपायुक्त सुरेश खोपडे ने कहा कि देश को चलाने के लिए बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान बनाया है, जिससे देश में राष्ट्रीय एकता और अखंडता कायम है लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार एनआरसी, सीएए और एनआरपी द्वारा देश की एकता व अखंडता को तोड़ने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत नागरिकता सिद्ध करने की जवाबदारी नागरिकों की है। ऐसे में लाखों आदिवासी और घुमंतू जातियों के लोग व छावनियों में रहने वाले लोगों में भय का वातावरण बना हुआ है। खोपडे ने कहा कि भिवंडी की शांति प्रिय महिलाओं के इस आंदोलन के बाद निश्चित तौर पर सरकार को कानून वापस लेना पड़ेगा। शुक्रवार को वंजारपट्टी नाका से लेकर मिल्लत नगर मैदान तक हजारों की संख्या में लोग हाथ में तख्तियां आदि लेकर नारेबाजी करते रहे। आंदोलनकारियों के हाथ में सबसे अधिक तिरंगा झंडा दिखाई पड़ा। आंदोलन को शांतिपूर्ण ढंग से चलाने के लिए भारी संख्या में स्वयं सेवक लगे रहे। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।


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