यूपी पंचायत चुनाव: टू-चाइल्ड पॉलिसी लागू करने पर ये बड़ा पेच

लखनऊ यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर हैं। कोरोना महामारी के चलते पंचायत चुनाव के अगले साल 2021 में कराए जाने की संभावना है। ऐसे में यूपी की योगी सरकार पंचायत चुनाव में लागू करने की तैयारी में है। वहीं टू-चाइल्ड पॉलिसी को लेकर सूबे में नई बहस छिड़ गई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यूपी सरकार के इस प्रस्ताव से समाज के निचले तबके के उम्मीदवारों की एक बड़ी संख्या चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएगी। उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधान से लेकर सभी पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 25 दिसंबर को खत्म हो रहा है। चूंकि कोरोना कोरोना महामारी का संक्रमण प्रदेश में तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में साफ है कि पंचायत चुनाव अगले साल 2021 में ही कराए जा सकते हैं। इस दौरान प्रदेश में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के चुनावों को लेकर यूपी सरकार उम्मीदवारी को लेकर बड़े बदलाव कर सकती है। पंचायतीराज एक्ट में संशोधन इस दौरान यूपी की योगी कैबिनेट में एक प्रस्ताव लाना चाहती है, जिसके तहत सरकार टू-चाइल्ड पॉलिसी को लागू कर सके। इस क्रम में सरकार को पंचायतीराज एक्ट में संशोधन भी कराना होगा, जो कि एक लंबी प्रक्रिया है। हालांकि यूपी सरकार के कई मंत्री और विधायकों की मंशा है कि सरकार इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाए। केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान ने की थी पंचायत चुनाव को लेकर ये पहल बीजेपी के सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान ने बीते दिनों उत्तर प्रदेश की सरकार से अपील की थी कि पंचायत चुनाव में उन लोगों को ना लड़ने दिया जाए, जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं। इसके लिए उन्होंने उत्तराखंड के नियमों का भी जिक्र किया था। संजीव बालियान ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी भी लिखी थी। चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि हमारे प्रदेश को जनसंख्या नियंत्रण का अभियान शुरू करना चाहिए। आगामी पंचायत चुनाव में आगामी उत्तराखंड राज्य की तरह ही दो से अधिक बच्चे होने की स्थिति में किसी को भी चुनाव लड़ने का अधिकार ना मिले। इन राज्यों में पहले से लागू है नया मॉडल जानकारी के मुताबिक, सरकार पंचायत चुनावों के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता भी तय कर सकती है। ग्राम पंचायत चुनाव में महिला और आरक्षित वर्ग के लिए न्यूनतम 8वीं पास शैक्षिक योग्यता हो सकती है। हालांकि सरकार को इस प्रस्ताव के चलते कड़ी आपत्तियों का सामना करना पड़ रहा है। विपक्ष ने इसे मनमाना और अन्यायपूर्ण बताया है। बता दें कि राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड जैसे राज्य पहले ही इस मॉडल को सफलतापूर्वक लागू कर चुके हैं। उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव पर कोर्ट ने किया था बदलाव जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने जुलाई 2019 में उत्तराखंड पंचायती राज्य काननू 2016 में संशोधन किया था। सरकार ने नियम बनाया कि जिनको दो से ज्यादा बच्चे हैं वे पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माने जाएंगे। इसके बाद कुछ कांग्रेसी नेताओं ने सरकार के कदम के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर कोर्ट ने दो बच्चों की शर्त में समय सीमा तय कर दी। फैसले में कहा कि 25 जुलाई 2019 के बाद दो बच्चे पैदा होने की दशा में यह नियम लागू होगा। 25 जुलाई 2019 से पहले के तीन या अधिक बच्चे वाले दावेदार चुनाव लड़ने के पात्र होंगे।


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