यौन अपराध, पत्नी का उत्पीड़न... बैक-टू-बैक विवादित फैसला देने वाली जस्टिस पुष्पा का प्रमोशन रुका
मुंबई बॉम्बे हाई कोर्ट () की (Pushpa Ganediwala) हाल-फिलहाल में दिए गए अपने विवादित फैसलों को लेकर चर्चा में रही हैं। 12 साल की लड़की के साथ यौन अपराध केस में आरोपी को बरी करते हुए उन्होंने कहा था कि बिना स्किन-टू-स्किन संपर्क में आए ब्रेस्ट को छूना पॉक्सो () के तहत यौन हमला नहीं माना जाएगा। दो दिन पहले उन्होंने पत्नी से पैसे की मांग करने को उत्पीड़न नहीं करार देते हुए आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को रिहा कर दिया। अब जस्टिस पुष्पा का प्रमोशन रुक गया है। विवादित फैसलों की वजह से चर्चा में रहीं जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला का प्रमोशन रोक दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश पुष्पा को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद अब वापस ले लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वाले मामले में जस्टिस पुष्पा के फैसले के व्याख्यान के बाद यह कदम उठाया गया है। हाई कोर्ट की नागपुर बेंच की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को पारित एक आदेश में कहा कि किसी हरकत को यौन हमला माने जाने के लिए ‘गंदी मंशा से त्वचा से त्वचा (स्किन टू स्किन) का संपर्क होना’ जरूरी है। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है। न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने एक सेशन्स कोर्ट के फैसले में संशोधन किया, जिसने 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के लिए 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी। 'बिना स्किन छुए ब्रेस्ट दबाना यौन उत्पीड़न नहीं' कोर्ट ने कहा कि 12 साल की नाबालिग बच्ची को निर्वस्त्र किए बिना, उसके वक्षस्थल (ब्रेस्ट) को छूना, यौन हमला (Sexual Assault) नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह की हरकत पोक्सो ऐक्ट के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं की जा सकती। हालांकि ऐसे आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (शीलभंग) के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए। 'हाथ पकड़ना, जिप खोलना यौन अपराध नहीं' जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने इससे पहले भी एक विवादित फैसला सुनाया था। उन्होंने कहा था कि पॉक्सो ऐक्ट के तहत पांच साल की बच्ची के हाथ पकड़ना और ट्राउजर की जिप खोलना यौन अपराध नहीं है। अमरावती की रहने वाली जस्टिस पुष्पा ने 2007 में बतौर जिला जज अपने करियर की शुरुआत की थी। 'पत्नी से पैसे मांगना उत्पीड़न नहीं' जस्टिस पुष्पा ने दो दिन पहले फैसला देते हुए कहा कि पत्नी से पैसे मांगने को उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने शादी के 9 साल बाद पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी शख्स को रिहा करने का फैसला दिया। आरोपी पर दहेज की लालच में उत्पीड़न का आरोप था। पढ़ें:
from Metro City news in Hindi, Metro City Headlines, मेट्रो सिटी न्यूज https://ift.tt/2YwdzMf
Comments
Post a Comment