हड़ताल के चलते नहीं मिला अस्पतालों में इलाज, भटकते-भटकते और बढ़ गया मरीजों का दर्द

18 दिसंबर से रेजिडेंट डॉक्टरों की चली आ रही अनिश्चितकालीन स्ट्राइक पिछले दो दिनों से उग्र हो गई है। सोमवार को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से सुप्रीम कोर्ट के बीच डॉक्टरों के मार्च को पुलिस ने रोका और डॉक्टरों ने शाम को पुलिस पर बल प्रयोग करने का आरोप लगाया। इसके बाद उन्होंने अपनी स्ट्राइक और उग्र कर दी और रात में ही फिर से सड़क पर उतर आए। पुलिस ने उन्हें सरोजिनी नगर के समीप रोका और डिटेन कर लिया। इस बाबत रेजिडेंट डॉक्टरों ने पूरी दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा शटडाउन करने का एलान कर दिया और इसका असर मंगलवार को कई अस्पतालों में देखा भी गया। लेकिन डॉक्टरों के इस आंदोलन का केंद्र सफदरजंग अस्पताल रहा जहां पूरे दिन दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों के दो से ढाई हजार रेजिडेंट डॉक्टर जुटे और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे। उनके इस प्रदर्शन से इमरजेंसी ठप पड़ गया, मरीज इलाज के लिए भटकते रहे। अस्पताल का गेट बंद कर दिया गया। एंबुलेंस को बाहर से ही वापस कर दिया गया और जो मरीज पैदल अस्पताल पहुंच भी गए, उन्हें इलाज नहीं मिला। ऊपर से बारिश ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी।

नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग में देरी पर आंदोलन तेज करते हुए बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टरों ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया। केंद्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों - सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग और दिल्ली सरकार के कई अस्पतालों में मंगलवार को स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रहीं। एम्स के डॉक्टरों ने हड़ताली डॉक्टरों के साथ आने के अपने फैसले को रद्द कर दिया।


Doctor's Strike in Delhi: हड़ताल के चलते नहीं मिला अस्पतालों में इलाज, भटकते-भटकते और बढ़ गया मरीजों का दर्द

18 दिसंबर से रेजिडेंट डॉक्टरों की चली आ रही अनिश्चितकालीन स्ट्राइक पिछले दो दिनों से उग्र हो गई है। सोमवार को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से सुप्रीम कोर्ट के बीच डॉक्टरों के मार्च को पुलिस ने रोका और डॉक्टरों ने शाम को पुलिस पर बल प्रयोग करने का आरोप लगाया। इसके बाद उन्होंने अपनी स्ट्राइक और उग्र कर दी और रात में ही फिर से सड़क पर उतर आए। पुलिस ने उन्हें सरोजिनी नगर के समीप रोका और डिटेन कर लिया। इस बाबत रेजिडेंट डॉक्टरों ने पूरी दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा शटडाउन करने का एलान कर दिया और इसका असर मंगलवार को कई अस्पतालों में देखा भी गया। लेकिन डॉक्टरों के इस आंदोलन का केंद्र सफदरजंग अस्पताल रहा जहां पूरे दिन दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों के दो से ढाई हजार रेजिडेंट डॉक्टर जुटे और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे। उनके इस प्रदर्शन से इमरजेंसी ठप पड़ गया, मरीज इलाज के लिए भटकते रहे। अस्पताल का गेट बंद कर दिया गया। एंबुलेंस को बाहर से ही वापस कर दिया गया और जो मरीज पैदल अस्पताल पहुंच भी गए, उन्हें इलाज नहीं मिला। ऊपर से बारिश ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी।



सफदरजंग हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने किया काम का बहिष्कार
सफदरजंग हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने किया काम का बहिष्कार

सफदरजंग अस्पताल में लगभग 1800 रेजिडेंट डॉक्टर हैं। सभी ने एक साथ काम का बहिष्कार कर दिया और जैसे-तैसे चल रहे इमरजेंसी विभाग के बाहर ही जमा हो गए और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान भारी पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया। फोर्डा की अगुवाई में किए जा रहे इस आंदोलन में डॉक्टरों ने एक बार फिर मंत्रालय का घेराव करने की योजना बनाई थी, लेकिन भारी पुलिस बल की तैनाती की वजह से वो अस्पताल परिसर से बाहर नहीं निकल पाए। डॉक्टर सोमवार की घटना से क्षुब्ध थे। उनमें गुस्सा था और इस वजह से वो उग्र रूप से प्रदर्शन व नारेबाजी कर रहे थे।



दिन भर लगते रहे नारे... शौक नहीं मजबूरी है यह हड़ताल जरूरी है
दिन भर लगते रहे नारे... शौक नहीं मजबूरी है यह हड़ताल जरूरी है

रेजिडेंट डॉक्टर 'सारा अस्पताल मेरा है, सारी जनता मेरी है', 'पूरा जोर लगा देंगे, काउंसलिंग करवा देंगे', 'शौक नहीं मजबूरी है यह हड़ताल जरूरी है' जैसे नारे लगा रहे थे। इनका कहना था कि जिस प्रकार का रवैया पुलिस का रहा है, वह सही नहीं है। डॉक्टरों का कहना था कि हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जता रहे थे, इसके बाद भी पुलिस ने इस तरह का व्यवहार किया जिससे हमें ठेस पहुंची है। इस बीच दोपहर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ रेजिडेंट डॉक्टरों की बैठक हुई। जिसे देखते हुए एम्स के आरडीए ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि वो 29 दिसंबर से स्ट्राइक पर जाने की घोषणा को वापस ले रहे हैं, क्योंकि सरकार का रुख सकारात्मक दिख रहा है।

लेकिन, डॉक्टरों की इस स्ट्राइक ने सफदरजंग अस्पताल इलाज के लिए आने वाले मरीजों का दर्द बढ़ा दिया। ओपीडी पूरी तरह से प्रभावित रही। वार्ड में डॉक्टर नहीं गए। रूटिन व इमरजेंसी सर्जरी नहीं हुईं। इमरजेंसी सेवा पूरी तरह से ठप हो गई। सफदरजंग अस्पताल के बाहर कई एंबुलेंस खड़ी थीं, कुछ में मरीज भी थे। रिंग रोड वाला इंट्री गेट बंद कर दिया गया था। किसी भी वाहन को आने नहीं दिया जा रहा था। बाहर से ही मरीजों की गाड़ी वापस लौटाई जा रही थी।



​दो साल के बच्चे के इलाज के लिए भटकते रहे परिजन
​दो साल के बच्चे के इलाज के लिए भटकते रहे परिजन

पूर्वी दिल्ली इलाके से एक पिता अपने दो साल के बच्चे के इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहा था। पिता ने बताया कि उसके दो साल के बच्चे को मिरगी जैसी दिक्कत हो रही है। पहले उन्होंने चाचा नेहरू में दिखाया, लेकिन वहां पर डॉक्टर ने स्ट्राइक की बात कह कर कहीं और जोने को कहा। फिर वो एम्स गए। लेकिन वहां भी एम्स एडमिशन नहीं मिला तो वो सफदरजंग आ गए। लेकिन यहां पर इमरेंसी बंद है, अब हम कहां जाए। पूरा परिवार बच्चे को लेकर भटकता रहा और कहा कि प्राइवेट में लेकर जाने के लिए पैसे नहीं है, अब हम क्या करें?



​बारिश में पड़ा रहा मरीज रामभजन
​बारिश में पड़ा रहा मरीज रामभजन

इमरजेंसी के कुछ ही दूरी पर जमीन पर लेटा रामभजन बोल भी नहीं पा रहा था। उसे यूरिन व स्टूल पाइप लगा हुआ था। उसके साथ खड़े उसके पोते ने बताया कि हरियाणा के नूह से यहां रेफर किया है। उसके पास पैसे भी नहीं थे, इलाज के लिए चंदा करके यहां लाया है। मरीज जमीन पर लेटा था। इस बीच बारिश होने लगी। मरीज के साथ जो बच्चा था वह उसे उठा भी नहीं पा रहा था। इस बीच एक अन्य रिश्तेदार आया और फिर उसे उठाकर शेड में लेकर गया। रिश्तेदार का कहना था कि कहां दिखाएं, कोई सुनने वाला ही नहीं है। सब कह रहे हैं कि डॉक्टर स्ट्राइक पर हैं।



​GTB में नहीं किया एडमिट, प्रसूति की मौत
​GTB में नहीं किया एडमिट, प्रसूति की मौत

रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल की कीमत मरीजों को अपनी जान गंवा कर चुकानी पड़ रही है। चाहे मरीज की स्थिति कितनी भी गंभीर क्यों न हो, अस्पताल से मरीजों को लगातार दूसरी जगहों पर रेफर किया जा रहा है। जीटीबी अस्पताल में एक प्रसूति महिला को गंभीर हालत में लेकर उनके परिजन पहुंचे थे। लेकिन, इस अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों की स्ट्राइक की वजह से महिला को एडमिट करने के बजाय एम्स के लिए रेफर कर दिया गया। उसकी स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह जीटीबी से एम्स तक पहुंच पाएं। ऐसे में एम्स ले जाते वक्त महिला की रास्ते में ही मौत हो गई। सुंदर नगरी की रहने वाली 27 साल की मंजू ने सोमवार रात को अपने मायके मंडोली में बेटी को जन्म था। बच्ची के जन्म के बाद मंजू की तबीयत बिगड़ने लगी और भारी ब्लीडिंग शुरू हो गई। इसके बाद उनके परिजन उन्हें जीटीबी अस्पताल की गायनी इमरजेंसी में लेकर आए। लेकिन, स्ट्राइक की वजह से डॉक्टरों ने एडमिट करने से साफ मना कर दिया। महिला को जीटीबी से एम्स के लिए रेफर कर दिया। परिजनों ने बताया कि महिला को वह एम्स लेकर गए, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। वहीं, बच्ची स्वस्थ है। बता दें कि सुंदर नगरी के रहने वाले रवि से मंजू की शादी दो साल पहले ही हुई थी। यह उनका पहला बच्चा था। रवि पेशे से ड्राइवर हैं।



​ओपीडी से बिना इलाज के ही काफी मरीजों को लौटना पड़ा
​ओपीडी से बिना इलाज के ही काफी मरीजों को लौटना पड़ा

रोहिणी के आंबेडकर और मंगोलपुरी के संजय गांधी अस्पताल के ओपीडी में हड़ताल का मिलाजुला असर देखने को मिला। इन दोनों ही अस्पतालों में ओपीडी में आने वाले बहुत से मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा, हलांकि इमरजेंसी में इन दोनों ही अस्पतालों में मरीजों को परेशानी नहीं हुई। आंबेडकर अस्पताल में सुबह 8 से 9 बजे तक एक ही घंटे ओपीडी के लिए रजिस्ट्रेशन हुए। कई मरीज ऐसे भी थे, जिनके ओपीडी कार्ड बनने के बाद भी इंतजार कर उन्हें इलाज के बिना ही लौटना पड़ा। ऑर्थो डिपार्टमेंट में बेगमपुर से इलाज के लिए पहुंचीं सोनी ने बताया कि उनके हाथ में गंभीर चोट लगी हुई है, सूजन नहीं जा रही है। जब अस्पताल पहुंची तो पता चला कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं। फिर इमरजेंसी में भी गईं, लेकिन डॉक्टरों ने ओपीडी में ही दिखाने के लिए कहा। ऐसे में अब उन्हें मजबूरन किसी प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ेगा।





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