स्टार्टअप्स के लिए पसंदीदा जगह बन गई है दिल्ली, जानिए क्या है कारण?
नई दिल्ली : 'पहले बैंगलोर में को बढ़ावा इसलिए मिल रहा था, क्योंकि स्टार्टअप कंपनियों में पैसा लगाने वाले ज्यादातर निवेशक टेक्नोलॉजी पर आधारित कंपनियों पर ही पैसा लगा रहे थे। यह उन्हें एक सेफ गेम नजर आ रहा था, मगर टेक कंपनियों की भरमार के कारण उस सेक्टर में एक तरह की जड़ता आने लगी, जिसे देखते हुए अब निवेशक कमोडिटी बेस्ड कंपनियों पर भी पैसा लगा रहे हैं। चूंकि दिल्ली में टेक और कमोडिटीज, दोनों तरह की कंपनियां चलाने के लिए बेहतर माहौल और सुविधाएं हैं, इसलिए अब बैंगलोर को पछाड़कर दिल्ली देश का 'स्टार्टअप कैपिटल' बनती जा रही है।' यह कहना है दो साल पहले दिल्ली में अपना स्टार्टअप 'अनंता हेम्प वर्क्स' शुरू करने वाले अभिनव भास्कर का, जिन्होंने अपने स्कूल के दोस्तों विक्रम बीर सिंह और मानवी के साथ मिलकर हैंप सीड यानी भांग के बीज के इस्तेमाल से बने आयुर्वेदिक और ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट्स का बिजनेस शुरू किया है। उनकी कंपनी मुख्य रूप से आयुर्वेदिक दवाइयां, स्किन केयर प्रॉडक्ट, वेलनेस प्रॉडक्ट, जानवरों की देखभाल के लिए उपयोगी प्रॉडक्ट और न्यूट्रिशनल प्रॉडक्ट्स बनाती हैं। अभिनव के मुताबिक, स्टार्ट अप शुरू करने के लिए दिल्ली का माहौल बहुत माकूल है। एक तो यहां हर तरह की कंपनियों का बेस है। इसके अलावा तमाम लाइसेंसिंग और अप्रूवल अथॉरिटीज के दफ्तर यहीं पर होने के कारण काम करना आसान हो जाता है। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से भी स्टार्ट अप्स को बहुत बढ़ावा और सपोर्ट मिल रहा है। खासकर यंग लोगों के बीच आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे यंगस्टर्स का उत्साह भी बढ़ रहा है और वे कुछ नया करने के लिए प्रत्यनशील हो रहे हैं। स्टार्टअप कंपनियों को ग्रांट्स के लिए कई तरह की स्कीमें चलाई जा रहीं हैं, सस्ते इंटेस्ट रेट पर लोन मुहैया कराया जा रहा है। स्टार्टअप्स को सरकार की तरफ से पूरा सहयोग मिल रहा है। जिस क्षेत्र में अभिनव ने अपनी कंपनी शुरू की है, वह भी इसी तरह का एक नया क्षेत्र है, जिसकी स्वीकार्यता और उपयोगिता अब तेजी से बढ़ रही है। खासकर आयुर्वेद को बढ़ावा देने की सरकार की नीति और लोगों के बीच बढ़ती उसकी डिमांड को देखते हुए ही उन्होंने इस क्षेत्र को चुना। मगर उनका यह भी कहना है कि अभी सरकार को स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देने के लिए नए क्षेत्रों में अपनी पॉलिसीज, रेगुलेशंस और गाइडलाइंस को और ज्यादा स्पष्ट करने की जरूरत है, ताकि आगे चलकर किसी भी स्तर पर कोई अड़चन ना आए।
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