कैसे मिले न्याय, जब FIR ही नहीं हो रही दर्ज
तनिष्का सैनी, लखनऊजहां एक तरफ डीजीपी महिलाओं को तुरंत दिलवाए जाने के लिए थानाध्यक्षों को सख्त निर्देश दे रहे हैं। वहीं कुछ थानेदार तो इन निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। नतीजा यह है कि वन स्टॉप सेंटर की चौकी से थानों पर भेजी जाने वाली शिकायतों में 24 घंटे में मुकदमा दर्ज नहीं किया जाता है। न्याय के लिए महिलाओं को कई दिनों तक सेंटर से लेकर थानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। वन स्टॉप सेंटर की इंचार्ज अर्चना सिंह के अनुसार थानों पर कई बार रिमाइंडर भी भेजा जाता है, लेकिन उसके बाद भी थानाध्यक्षों द्वारा कई कई दिनों तक दर्ज नहीं की जाती है। केस -इंदिरानगर की रहने वाली 30 वर्षीय महिला ने वन स्टॉप सेंटर पर अपने भैया और भाभी द्वारा घर से निकाले जाने की शिकायत दर्ज करवाई थी। सेंटर पर काउंसलिंग के बाद इंचार्ज ने गाजीपुर थाने पर भैया और भाभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए 21 अक्टूबर को मामला भेजा था, लेकिन इस मामले में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। पीड़िता अब भी घर से बाहर रह रही है। -माल थाना क्षेत्र के रामनगर की रहने वाली एक 27 वर्षीय युवती की शादी 2011 में काकोरी के दधिया गांव की रहने वाले युवक से हुई थी। शादी के कुछ दिन बाद से ही पति और ससुराल वालों ने दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। वन स्टॉप सेंटर पर काउंसलिंग फेल होने के बाद एफआईआर दर्ज करने के लिए काकोरी थाने भेजा गया, लेकिन अब तक एफआईआर नहीं दर्ज की गई। -कृष्णानगर की रहने वाली एक 35 वर्षीय पीड़िता ने अपने पति व ससुरालवालों के खिलाफ उत्पीड़न करने की शिकायत की थी। उसका आरोप था कि उसके पति उसे पागल करके जान से मारना चाहते हैं। मामले को वन स्टॉप सेंटर ने काउंसलिंग के बाद 23 अक्टूबर को कार्रवाई के लिए थाना कृष्णानगर भेजा, लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। यह है नियमसीएम हेल्पलाइन 181 की ओर से रेस्क्यू कर लाई जाने वाली और वहां शिकायत करने वाली पीड़ित महिलाओं को तुरंत न्याय मिले इसलिए सेंटर पर एक चौकी बनाई गई थी। चौकी पर पीड़िताओं का प्रार्थना पत्र लेकर संबंधित थाने को ऑनलाइन भेजकर मुकदमा दर्ज करने को कहा जाता है। इंचार्ज अर्चना सिंह ने बताया कि यहां से भेजी जाने वाली शिकायतों पर 24 घंटे ने मुकदमा दर्ज कर क्यू मेल से दोबारा सेंटर को अवगत करवाने का नियम है। यह नियम चौकी बनने के साथ ही डीजीपी ने लागू किया था, लेकिन थानों पर कई बार चक्कर लगाने के बाद मामले को गंभीरता से लिया जाता है। इसमें करीब 15 से 20 दिन लग जाते हैं। क्या कहते हैं थानेदारइंस्पेक्टर काकोरी प्रमोद मिश्रा ने कहा कि ये शिकायतें ऑनलाइन आती हैं। वैसे भी जिन मामलों में एफआईआर दर्ज होनी होगी, उनमें दर्ज होती ही हैं। अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। इंस्पेक्टर कृष्णानगर प्रदीप कुमार सिंह ने कहा, 'सभी मामलों में काउंसलिंग के बाद मुकदमा दर्ज है। आरोप गलत है अगर कोई मामला दर्ज नहीं है तो सेंटर बताए मामला दर्ज होगा।'
from Metro City news in Hindi, Metro City Headlines, मेट्रो सिटी न्यूज https://ift.tt/2WxKNJB
Comments
Post a Comment