दिल्ली दंगे: मार्शल की 'साइड ट्रिक', बची 20 जानें

नई दिल्ली कलस्टर बस में तैनात बस मार्शल ने अपनी बहादुरी और सूझबूझ का परिचय देते हुए दंगाइयों से न सिर्फ अपनी और ड्राइवर-कंडक्टर की जिंदगी बचाई, बल्कि बस में बैठी 20 सवारियों के लिए भी वह मसीहा बन गए। लाठी-डंडे और हथियारों से लैस 100 से भी अधिक दंगाइयों ने बस को चारों ओर से घेर लिया था। दंगाई बस का गेट खुलवाने की कोशिश कर रहे थे। इससे वह घबराए नहीं। मार्शल ने मौका देख बस को वहां से यू-टर्न कराया और बस में बैठे सभी लोगों की जिंदगी बच गई। इस बहादुर और समझदार मार्शल का नाम है गुलशन कुमार। 35 साल के गुलशन करोल बाग में रहते हैं। गुलशन बताते हैं कि 26 फरवरी की दोपहर बाद मोरी गेट से यमुना विहार सी-ब्लॉक रूट नंबर-253 की कलस्टर बस पर उनकी ड्यूटी थी। मोरी गेट से बस चलते हुए शास्त्री पार्क रेड लाइट पर आ गई। उस वक्त बस में 20 पैसेंजर थे, इनमें सात महिलाएं भी थीं। शास्त्री पार्क रेड लाइट से बस ने यमुना विहार जाने के लिए लेफ्ट टर्न लिया। वह बस में ड्राइवर के पास खड़े थे। खजूरी चौक से पहले 5वें पुश्ते के पास पहुंचने ही वाले थे कि उन्होंने देखा कि कुछ दूर आगे काफी लोग खड़े हैं। उन्हें कुछ शक हुआ। उस जगह ना तो बस को वापस घुमाया जा सकता था और ना ही बस रोककर दंगाइयों का इंतजार किया जा सकता था। उन्होंने ड्राइवर से कहा कि किसी भी हालत में बस के गेट मत खोलना। साथ ही उन्होंने पैसेंजर से कहा कि आप सब बस की सीट के नीचे छिप जाओ। बस भीड़ के पास पहुंची तो देखा कि 100 से अधिक लोग लाठी-डंडे और हथियार लेकर खड़े थे। सभी लोग बस के सामने आ गए। बस रोकनी पड़ी। दंगाइयों ने बस को चारों ओर से घेर लिया। दंगाइयों ने कहा कि बस की सारी सवारियों को नीचे उतारो। गुलशन ने कहा कि बस में कोई सवारी नहीं है। दंगाइयों ने धमकी दी कि जान बचाना चाहते हो तो बस छोड़कर भाग जाओ। हम बस में आग लगाएंगे। इतने में ही मार्शल को एक तरकीब सूझी। वहीं पास में ही यू-टर्न था। मार्शल ने ड्राइवर से कहा कि तुम धीमे-धीमे से बस चलाते हुए यू-टर्न पर ले आओ। मैं इन्हें बातों में उलझाता हूं, लेकिन किसी भी सूरत में गेट मत खोल देना। इतने में दंगाइयों ने बस में झांकना शुरू कर दिया। उन्हें पैसेंजर दिख गए। वह बोले इसमें सवारी है.... अब हम किसी को नहीं छोड़ेंगे। इतने में ही बस यू-टर्न के पास तक पहुंच चुकी थी। मार्शल ने कहा कि ठीक है हम बस को साइड में लगाते हैं थोड़ा दूर हटो। जैसे ही दंगाई उसकी बात समझ पाते मार्शल ने बस को यू-टर्न करा लिया और वहां से बस को तेज रफ्तार से भगाते हुए शास्त्री पार्क रेड लाइट पर ले आए। वहां सभी को बस से सुरक्षित उतारा। तमाम सवारियों ने मार्शल गुलशन का शुक्रिया अदा किया। मार्शल ने उनकी यह सोचकर जान नहीं बचाई थी कि वह हिंदू हैं या मुसलमान। मार्शल का केवल एक ही उद्देश्य था कि चाहे कुछ भी हो जाए। वह सवारियों की जिंदगी पर आंच नहीं आने देगा। गुलशन ने बताया कि पिछले साल मार्च में बीमारी की वजह से उसकी मां की डेथ हो गई थी। मां की मौत के एक सप्ताह में ही पिताजी भी सदमे में चल बसे। गुलशन करोल बाग में किराए के घर में रहते हैं।


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