दिल्ली के बाद हर्ड इम्युनिटी की राह पर मुंबई?

मुंबईदिल्ली के बाद अब मुंबई में भी कोरोना कम घातक होता नजर आ रहा है। सीरो सर्वे के अनुसार, मुंबई के स्लम एरिया में रहने वाले 57 फीसदी लोगों के शरीर में ऐंटीबॉडी विकसित हो गए हैं। यानी इन्हें कोरोना हुआ था और उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगी। कोरोना से जूझते मुंबई के लिए यह एक राहत वाली खबर है। इससे पहले दिल्ली में कोरोना के मामलों में कमी देख हर्ड इम्युनिटी विकसित होने की बात कही गई। हालांकि इसकी जांच के लिए वहां फिर से सीरो सर्वे होगा। मुंबई में हुए सीरो सर्वे में कहा गया कि यहां तीन निकाय वार्डों के स्लम एरिया में रहनेवाली 57 फीसदी आबादी और झुग्गी इलाकों से इतर रहनेवाले 16 फीसदी लोगों के शरीर में ऐंटीबॉडी बन गई हैं। इससे संकेत मिलते हैं कि कोरोना वायरस के आधिकारिक आंकड़ों से कहीं अधिक लोग पहले ही इससे संक्रमित हो चुके हैं। पढ़ें: तीन वार्ड में लिए गए सैंपल मुंबई में जुलाई महीने के पहले 15 दिन में तीन वार्ड आर नॉर्थ, एम-वेस्ट, एफ-नॉर्थ के झुग्गी बस्ती में रहने वालों और झुग्गी से इतर इलाकों में रहने वालों के 6,936 नमूने लिए गए। इसमें पता चला कि शहर में बिना लक्षण वाले संक्रमण से पीड़ित लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। बीएमसी ने बताया कि स्टडी में खुलासा हुआ है कि स्लम में रहनेवाली 57 फीसदी आबादी और गैर झुग्गी क्षेत्रों की 16 फीसदी आबादी के शरीर में ऐंटीबॉडी बन गए हैं। हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई या नहीं, दोबारा जांच होगी बीएमसी ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया, ‘यह परिणाम हर्ड इम्युनिटी के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने में महत्वपूर्ण है।’ बीएमसी ने कहा कि इस संबंध में दूसरा सर्वे होगा जो कि वायरस के प्रसार और हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई या नहीं इस पर जांच करेगा। यह सीरो सर्वे नीति आयोग, बीएमसी और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ने संयुक्त रूप से किया है। बिना लक्षण वाला कोरोना मुंबई में ज्यादा निकाय अधिकारियों का दावा है कि सीरो सर्वे का यह परिणाम इस ओर इशारा करता है कि बिना लक्षण वाले संक्रमण की दर अन्य सभी प्रकार के संक्रमण से अनुपात में ज्यादा है। बीएमसी ने कहा, ‘हालांकि जनसंख्या में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में संक्रमण दर आंशिक रूप से ज्यादा है।’ बीएमसी ने दावा किया कि झुग्गी क्षेत्रों में ज्यादा संक्रमण के पीछे यहां जनसंख्या घनत्व अधिक होना एक वजह हो सकती है क्योंकि लोगों को टॉइलट शेयर करने पड़ते हैं। नगर निकाय ने कहा कि सीरो सर्वे में पता चलता है कि संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर काफी कम है और 0.5-0.10 फीसदी की रेंज में है। क्या है हर्ड इम्युनिटी? हर्ड इम्युनिटी एक प्रक्रिया है। इसमें लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। वह चाहे वायरस के संपर्क में आने से हो या फिर वैक्सीन से। अगर कुल जनसंख्या के 75 प्रतिशत लोगों में यह प्रतिरक्षक क्षमता विकसित हो जाती है तो हर्ड इम्युनिटी माना जाता है। फिर चार में से तीन लोग को संक्रमित शख्स से मिलेंगे उन्हें न ये बीमारी लगेगी और न वे इसे फैलाएंगे। एक्सपर्ट मानते हैं कोविड-19 के केस में हर्ड इम्युनिटी विकसित होने के लिए 60 प्रतिशत में रोग प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।


from Metro City news in Hindi, Metro City Headlines, मेट्रो सिटी न्यूज https://ift.tt/3hKP59B

Comments

Popular posts from this blog

फडणवीस की पत्नी ने पुकारा तो कंधे पर बैठ गया दुर्लभ 'टाइगर', यूं मिली नई जिंदगी!

चाय की जगह काढ़ा, सोशल डिस्टेंसिंग...UP असेंबली का बदला सा नजारा

वर्ल्ड किडनी डेः किडनी की बीमारी अब युवाओं पर पड़ रही भारी