विधान परिषद में जाएंगी उर्मिता मातोंडकर? संजय राउत ने यूं बढ़ाया सस्पेंस

मुंबई की राज्यपाल की ओर से भरी जाने वाली 12 सीटों में से एक पर के मनोनयन की चर्चा जोरों पर है। कहा जा रहा है कि इस संदर्भ में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने खुद उर्मिला से बात की है। शुक्रवार को जब यह चर्चा आम हुई, तो मीडिया ने इस बारे में शिवसेना सांसद संजय राउत से खबर की पुष्टि करनी चाहिए। जवाब में संजय राउत ने यह कहकर सस्पेंस और बढ़ा दिया कि राज्यपाल की ओर से नामित सीटों के लिए किसका नाम भेजना है, यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और मुख्यमंत्री इस पर विचार करेंगे। लोकसभा चुनाव में उर्मिला को मिली थी शिकस्तबता दें कि 'मराठी मुलगी' मातोंडकर ने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तर से लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, बाद में मुंबई कांग्रेस के कामकाज के तरीके को लेकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। हाल ही में कंगना और शिवसेना के विवाद में उर्मिला मातोंडकर ने कंगना का विरोध कर शिवसेना की हमदर्दी हासिल की है। 6 महीने से खाली पड़ी हैं सीटेंयह सीटें पिछले 6 महीने से खाली पड़ी हैं। महाविकास अघाड़ी सरकार में पद से वंचित नेताओं की ओर से इन्हें भरने का दबाव लगातार बनाया जा रहा है। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने कोरोना संकट के बीच दो बार राज्यपाल कोटे से उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करने की सिफारिश की थी, जिसे गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने मंजूरी नहीं दी थी। बरकरार है सस्पेंस बरहाल राज्यपाल की ओर से मनोनीत किए जाने वाले विधान परिषद के 12 प्रत्याशियों के नाम पर सस्पेंस बना हुआ है। खबर है कि गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक में सभी 12 नाम तय कर लिए गए हैं। महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल तीनों पार्टियों शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने चार-चार उम्मीदवारों के नाम तय किए हैं। इन 12 प्रत्याशियों के नाम की सूची मुख्यमंत्री के पास है, जिसे उन्हें राज्यपाल को भेजना है। यह है पात्रता राज्यपाल कोटे की विधान परिषद सीटों पर खेल, कला, विज्ञान, शिक्षा, साहित्य, सहकारिता आदि क्षेत्रों से आने वाले विद्वानों को मनोनीत किया जाता है। राज्यपाल की ओर से मनोनीत होने वाले विधान परिषद सदस्यों के नामों की सिफारिश राज्य सरकार ही करती है, इसके बावजूद यह राज्यपाल पर निर्भर करता है कि वह सरकार के अनुरोध को मानें या नहीं। इसलिए है सस्पेंस 12 प्रत्याशियों के नामों पर सस्पेंस बना हुआ है, क्योंकि मुख्यमंत्री ने उम्मीदवारों के नाम की सूची को राज्यपाल को भेजने से पहले सरकार के विधि और न्याय विभाग को उनके बायोडाटा के साथ भेजा है। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राज्यपाल द्वारा नामित किए जाने वाले व्यक्तियों के लिए तय पात्रता में यह नाम फिट बैठते हैं या नहीं? इन नामों की है चर्चा शिवसेना की तरफ से पार्टी सचिव मिलिंद नार्वेकर, पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर, पूर्व विधायक सुनील शिंदे, सचिन अहिर, अभिनेता आदेश बांदेकर और उर्मिला मांतोडकर के नाम की चर्चा है। इनमें से जिनके बायोडाटा को विधि और न्याय विभाग अपनी सहमति देगा मुख्यमंत्री उनमें से ही चार लोगों को चुनेंगे। कांग्रेस की तरफ से पूर्व मंत्री नसीम खान, पार्टी प्रवक्ता सचिन सावंत, मोहन जोशी और मुजफ्फर हुसैन के नाम चर्चा में हैं। एनसीपी में भाजपा छोड़ कर आए पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे, राजू शेट्टी, गायक आनंद शिंदे और उत्तम जानकर के नाम की चर्चा है। यूपी प्रकरण नहीं दोहराना चाहती सरकार 2015 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने राज्यपाल कोटे से एमएलसी के लिए नामित सीट के लिए 9 उम्मीदवारों के नाम की सिफारिश की थी। लेकिन यूपी के तत्कालीन गवर्नर राम नाइक ने चार नामों पर अनुमोदन कर दिया था, बाकी पांच नाम वापस भेज दिए थे। गवर्नर ने कहा था कि इनमें से कई व्यक्तिय साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन और समाज सेवा में से किसी भी क्षेत्र में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव नहीं रखते हैं। इस कारण उन्हें विधान परिषद का सदस्य नामित नहीं किया जा सकता है। इसके बाद अखिलेश सरकार ने दोबारा से उनकी जगह दूसरे नाम भेजे थे, जिसे सहमति मिली थी।


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