बेटी की शादी, भतीजे की मौत...फिर भी नहीं टूट रहे सड़क पर डटे किसानों के हौसले

गाजियाबाद नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली बॉर्डर पर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुराड़ी मैदान में जाने के बाद बातचीत शुरू करने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। किसानों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर सुरक्षा और कड़ी की गई। गाजीपुर बॉर्डर को पुलिस ने बड़े-बड़े बोल्डर लगाकर ब्लॉक किया। वे अभी भी दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। आंदोलन में पहुंचे हर किसान की अलग कहानी है। इनके लिए खेती ही सबकुछ है। किसान कहते हैं कि अपने हक के लिए सब छोड़कर यहां आए हैं। किसी के घर में बेटे की शादी है तो किसी के घर बेटी की। इसके बावजूद परिवार को सारी जिम्मेदारी सौंपकर यहां डटे हुए हैं। वह कहते हैं कि घर न पहुंच सके तो वीडियो कॉल पर बच्चों को आशीर्वाद दे देंगे। 'परिवार को सौंप दी जिम्मेदारी' अमरोहा से आए सुभाषचंद बताते हैं कि अगले सप्ताह बेटी की शादी है। वहां पत्नी और बच्चों को काम सौंपकर आया हूं। आज मैं जो भी हूं, खेती के कारण हूं, इसलिए मेरा पहला धर्म यहां के लिए बनता है। शादी के सभी इंतजाम करवा दिए हैं। दोनों तरफ पूरी जिम्मेदारी है, जिसे मैं निभा रहा हूं। यहां ज्यादा दिन लगे तो घरवालों से कहा है कि वीडियो कॉल पर शादी दिखा दें। अगले हफ्ते हैं बेटे की शादी मैं बागपत से यहां पहुंचा हूं। ये आंदोलन हम किसान भाइयों के लिए जरूरी है। अगले हफ्ते मेरे बेटे की शादी है। घर के दूसरे सदस्यों को इसकी जिम्मेदारी देकर आ गया हूं। चौधरी नरेंद्र कहते हैं कि यहां किसान भाइयों को मेरी ज्यादा जरूरत है। किसान होकर मैं ही यहां नहीं रहूंगा तो हक के लिए कैसे बाकियों को हिम्मत मिलेगी। भतीजे की मौत पर नहीं गए घर बिजनौर से आ रहे समरपाल बताते हैं कि मैं यहां जैसे ही आ रहा था, वैसे ही घर से संदेश मिला कि भतीजे की मृत्यु हो गई है। मैं आधे रास्ते आ चुका था। अपने किसान भाइयों को देखा तो सोचा कि भतीजा भी यही चाहता था कि हमें इंसाफ मिले, इसलिए मैंने अपने पैर पीछे नहीं किए। यूपी गेट बॉर्डर पहुंचा और यहां दो दिन से आंदोलन में हूं।


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