रिटायर्ड बैंक कर्मचारी के नाम पर फर्म बनाकर जालसाज फरार, पीड़ित झेल रहा नियमों की मार
लखनऊ जालसाजों का शिकार हुए आलमबाग निवासी रिटायर्ड बैंक कर्मचारी मोहन लाल अब वाणिज्य कर विभाग के नियमों की मार झेल रहे हैं। दरअसल, जालसाजों ने मोहन के दस्तावेजों का इस्तेमाल कर फर्जी फर्म बना ली थी। टैक्स चोरी पकड़े जाने के बाद फर्म संचालक तो भाग गए, लेकिन करीब एक करोड़ रुपये की वसूली के लिए विभाग ने मोहन का बैंक खाता सीज कर दिया और दो साल से उनकी पेंशन नहीं आ रही है। वहीं, विभागीय अधिकारी मोहन लाल को पीड़ित तो मान रहे हैं, लेकिन नियमों का हवाला देकर मदद से हाथ खड़े कर रहे हैं। मोहन लाल ने बताया कि वह इलाहाबाद बैंक में चपरासी थे और 2010 में रिटायर हुए थे। उनके पैन, आधार और दूसरे दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अज्ञात लोगों ने साल 2016 में शगुन इंटरप्राइजेज नाम से फर्म बना ली। फर्म के जरिए सरिया और लोहे का कारोबार किया गया। 2018 में वाणिज्य कर विभाग ने फर्म की करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी और 3 जनवरी 2019 को मोहनलाल को नोटिस भेजकर उनका इलाहाबाद बैंक का खाता सीज कर दिया। तब से मोहन लाल राहत के लिए विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। गार्ड की नौकरी करनी पड़ी पेंशन रुक जाने के बाद मोहन लाल ने एक शॉपिंग कॉम्पलेक्स में गार्ड की नौकरी शुरू की। मोहन के मुताबिक, पिछले महीने संचालक ने ज्यादा उम्र का हवाला देते हुए उन्हें नौकरी से हटा दिया। उनके परिवार में तीन बेटियां और एक दिव्यांग बेटा है। उनकी एक बेटी मॉल में नौकरी करती है, जिसकी आमदनी से पूरे घर का गुजारा हो रहा है। 70 मामले सामने आए जालसाजों ने मोहन लाल जैसे कई रिटायर्ड कर्मचारियों को शिकार बनाया है। कई मामलों में तो कंपनी संचालक फरार हो गए और टैक्स वसूली के लिए विभाग रिटायर्ड कर्मचारियों को नोटिस भेज रहा है। प्रदेशभर में ऐसे करीब 70 मामले पकड़ में आ चुके हैं। असली संचालकों का दस्तावेजों में कहीं नाम न होने से विभाग पीड़ितों की मदद नहीं कर पा रहा है। अधिकारी ये तर्क दे रहे... वाणिज्य कर विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, एक बार किसी फर्म के ऊपर पेनाल्टी लगने पर उसे खत्म करने का कोई प्रावधान नहीं है। पेनाल्टी की वसूली उसी व्यक्ति से की जाएगी, जिसके दस्तावेजों पर फर्म बनाई गई है। हालांकि, विभागीय अधिकारी फर्जी फर्मों को पकड़ने के लिए पूरे प्रदेश में जल्द बड़ा अभियान शुरू करने की बात जरूर कह रहे हैं।
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