दरगाह भूले मंदिर में किए दर्शन, बदली-बदली है अखिलेश की रणनीति, क्या है प्लान?

लखनऊ यूपी में विधानसभा चुनाव की आहट होते ही मंदिर पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के बाद अब समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी इससे पीछे नहीं रख पाए। अखिलेश के मिर्जापुर दौरे पर विंध्यवासिनी देवी मंदिर के दर्शन सुर्खियों में है। अखिलेश ने मंदिर परिसर में समस्त देवी देवताओं की परिक्रमा करते हुए हवन कुंड में भी परिक्रमा की और आशीर्वाद लिया लेकिन यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित कंतित शरीफ की दरगाह पर जाना वह भूल गए। पार्टी के लोग इसे टाइट शेड्यूल का नतीजा बता रहे हैं तो वहीं राजनीतिक एक्सपर्ट इसे अखिलेश की बदली हुई रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल मिर्जापुर आने वाले नेता सेक्युलरिज्म का संदेश देने के लिए विंध्यवासिनी मंदिर में दर्शन के बाद कंतित शरीफ दरगाह में मत्था टेकने जरूर जाते हैं। यहां अखिलेश के चादर चढ़ाने का इंतजार भी होता रहा लेकिन अखिले वहां नहीं पहुंचे। पढ़ें: विंध्यवासिनी के दर्शन किए, दरगाह नहीं गए मिर्जापुर पहुंचकर अखिलेश यादव ने अष्टभुजा डाक बंगला में रात्रि विश्राम किया और मां विंध्यवासिनी मंदिर पहुंचे और मां की चुनरी लेकर दर्शन किए। अखिलेश ने विंध्यवासिनी देवी को कुलदेवी बताकर दर्शन किए। इसके बाद सूचना थी कि अखिलेश कंतित शरीफ की हजरत इस्माइल चिश्ती दरगाह पर चादरपोशी के लिए जाएंगे लेकिन वह मिर्जापुर शहर रवाना हो गए। मिर्जापुर दौरे पर कहां-कहां गए अखिलेश? इस पर एसपी जिलाध्यक्ष देवीप्रसाद चौधरी ने बताया कि समय की कमी होने के कारण अखिलेश दरगाह नहीं पहुच सके। उन्होंने बताया कि एसपी चीफ को वाराणसी के संत रविदास मंदिर भी जाना था, इस कारण वह दरगाह तक नहीं जा सके। पूर्व मूख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मिर्जापुर दौरे पर सक्तेशगढ़ आश्रम में भी दर्शन पूजन किया। इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के विंध्याचल मंडल के कार्यकर्ताओं के तीन दिन के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया। पढ़ें: संत रविदास के दर्शन, दलित राजनीति पर जोर! दरगाह न जाकर अखिलेश माघ पूर्णिमा के अवसर पर वाराणसी स्थित रविदास मंदिर पहुंचे। यहां इससे पहले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी दर्शन कर चुकी थीं। फिर अखिलेश ने भी यहां पूजा पाठ किया। इसे दलित राजनीति से जोड़कर देखा गया लेकिन समाजवादी पार्टी का कोर वोटबैंक यादव-मुस्लिम के गठजोड़ को माना जाता है। ऐसे में सवाल यही है कि क्या वाकई अखिलेश ने अपनी रणनीति बदल ली है। सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति की ओर अखिलेश पिछले कुछ समय में देखें तो अखिलेश सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। इसके पीछे उनकी योजना यही है कि अगर चुनाव में बीजेपी धर्म के कार्ड का इस्तेमाल करे तो वह उसका बखूबी जवाब दे सकें। अयोध्या में संतों से मुलाकात, कामदगिरि के दर्शन भी किए इससे पहले अखिलेश ने साल की शुरुआत में लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में अयोध्या से आए महंत और मौलवियों से मिले। उन्होंने इस मौके पर ऐलान किया था कि अगर यूपी में एसपी की सरकार बनती है तो भगवान श्रीराम की नगरी में मठ-मंदिर, मस्जिद-गुरुद्वारा, गिरजाघर और आश्रम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। अखिलेश ने अयोध्या धाम की पत्रिका 'सवेरा एक संकल्प' का भी विमोचन किया था। इसी साल 8 जनवरी को वह चित्रकूट के लक्ष्मण पहाड़ी मंदिर पहुंचे और कामदगिरि मंदिर की परिक्रमा करते दिखे। लगातार लगा रहे मंदिरों के चक्कर 15 दिसंबर 2020 को अखिलेश यादव ने अयोध्या में जहां राम मंदिर निर्माण वाली जगह का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने अपनी पार्टी की ओर किए गए धार्मिक कार्यों को गिनाने की कोशिश की। इसके बाद से अखिलेश लगातार मंदिरों को चक्कर लगा रहे हैं। अखिलेश जहां भी जा रहे हैं वहां के प्रमुख मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं।


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