क्या मनसुख के कत्ल से पहले खेला गया शतरंज का खेल! FB पोस्ट कर रहा इशारा?

मुंबई एंटीलिया जिलेटिन केस में 25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर के बाहर रात 2 बजकर 18 मिनट पर एक स्कॉर्पियो गाड़ी खड़ी की गई थी। वह स्कॉर्पियो कार डेकोरेटर हिरेन मनसुख की थी। मनसुख का 4 मार्च को कत्ल कर दिया गया था। इस मर्डर केस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे के अलावा क्रिकेट बुकी नरेश गोर और पुलिस सिपाही विनायक शिंदे को भी आरोपी बनाया गया है। तीनों इन दिनों एनआईए की कस्टडी में हैं। खास बात यह है कि जिस 4 मार्च को हिरेन मनसुख का कत्ल हुआ, ठीक उसी दिन कातिलों में से एक सिपाही विनायक शिंदे ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली। इसमें लिखा- 'मुझे शतरंज पसंद है, क्योंकि इसका एक नियम बहुत अच्छा है। चाल कोई भी चले, पर अपने अपनों को नहीं मारते।' लेकिन हुआ उलटा। यह पोस्ट कत्ल के दिन ही कातिल द्वारा क्यों डाली गई? समझ से परे है। क्या विनायक शिंदे ने जांच एजेंसियों का ध्यान डायवर्ट करने के लिए ऐसा किया था? वह खुद पुलिस वाला रहा है, इसलिए जांच को डायवर्ट करने का हर हथकंडे जानता ही होगा। खास बात यह है कि विनायक शिंदे को 21 मार्च को मनसुख कत्ल में गिरफ्तार किया गया और उसके ठीक एक दिन पहले उसने फेसबुक पर एक और पोस्ट का लिंक अपनी तरफ से 'शॉकिंग' लिखकर शेयर किया। खबर की हेडिंग थी-School dropout performs surgery in Sultanpur। कत्ल के दौरान और कत्ल के बाद के दिनों में वह सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह ऐक्टिव रहा कि जैसे वह हिरेन मनसुख, सचिन वाझे के बारे में कुछ नहीं जानता हो, जबकि जो नई जानकारियां सामने आ रही हैं, उनके मुताबिक, कत्ल के एक दिन पहले 3 मार्च को क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट यानी सीआईयू, जिसके सचिन वझे प्रभारी थे, वहां हिरेन मनसुख के साथ सचिन वझे और विनायक शिंदे दोनों मौजूद थे। साथ ही क्राइम ब्रांच के कुछ और अधिकारी भी। इस मुलाकात में हिरेन मनसुख को बहुत कनविंस किया गया कि वह मुकेश अंबानी के घर के बाहर जिलेटिन प्लांट करने की जिम्मेदारी ले लें और गिरफ्तार हो जाएं, बाद में उन्हें जमानत से बाहर निकालने में वझे और उनकी टोली बहुत मदद करेगी। लेकिन मनसुख ने जब मना कर दिया, तो उनकी हत्या की साजिश रची गई। गुजरात के एक क्रिकेट बुकी नरेश गोर के सचिन वझे को दिए सिम कार्ड से मनसुख को 4 मार्च को रात में तावड़े के नाम से कॉल किया गया और फिर उसे ठाणे के घोडबंदर इलाके में बुलाकर उसका कत्ल कर दिया गया। उसके बाद सचिन वझे वहां से करीब 40 किलोमीटर दूर मुंबई पुलिस मुख्यालय आया और फिर डोंगरी के एक बार में रेड डालने चला गया, जबकि उसी दौरान विनायक शिंदे ने फेसबुक पर 'अपने अपनों को नहीं मारते' वाली पोस्ट डाल दी। तब 27 फरवरी को ATS की प्रेस कॉन्फ्रेंस होती! एटीएस के एक अधिकारी के अनुसार, उनके पास विनायक शिंदे और हिरेन मनसुख के 4 मार्च को ठाणे की घोड़बंदर रोड की एक साथ लोकेशन के पर्याप्त सबूत हैं। एटीएस के इस अधिकारी का कहना है कि अगर महाराष्ट्र सरकार जिलेटिन वाला केस शुरू में मुंबई क्राइम ब्रांच को न देकर महाराष्ट्र एटीएस को दे देती, तो हम 27 फरवरी को ही शायद इस केस के डिटेक्शन से जुड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देते। 27 फरवरी को ही सचिन वझे गिरफ्तार कर लिए जाते, क्योंकि हमने उसकी साजिश से जुड़े पर्याप्त सबूत जुटा लिए थे। यदि ऐसा होता, तो हिरेन मनसुख का कभी कत्ल ही नहीं होता। लेकिन, चूंकि अधिकृत जांच खुद क्राइम ब्रांच, खुद सचिन वझे कर रहे थे, इसलिए हम कुछ नहीं कर पाए। हम अपनी तरफ से सिर्फ समानांतर जांच ही कर रहे थे। महाराष्ट्र एटीएस को इस केस की अधिकृत जांच 6 मार्च को तब मिली, जब 5 मार्च को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस ने मनसुख की हत्या की जानकारी विधानसभा में दी और इस हत्याकांड में सचिन वझे की भूमिका पर सनसनीखेज खुलासे किए। दो दिन बाद ही केंद्र सरकार ने जिलेटिन वाला केस एनआईए को दे दिया, तब एटीएस ने मनसुख के मर्डर की जांच शुरू की और फिर सचिन वझे को प्रमुख साजिशकर्ता बताकर इस केस में सिपाही विनायक शिंदे और नरेश गोर को गिरफ्तार कर लिया। अब मर्डर केस भी एनआईए को ट्रांसफर हो गया है। शिंदे ने वझे के साथ कभी काम नहीं किया पिछले कई दिनों से मीडिया में खबरें आ रही हैं कि विनायक शिंदे ने अतीत में सचिन वझे के साथ अंधेरी सीआईयू में काम किया था, इस वजह से दोनों की दोस्ती थी। मुंबई पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, यह सही नहीं है। सचिन वझे ने अंधेरी सीआईयू में प्रदीप शर्मा के साथ काम किया, पर विनायक शिंदे ने कभी सीआईयू या वाझे के साथ काम नहीं किया। अंधेरी सीआईयू के कार्यकाल के दौरान ही वझे को बम ब्लास्ट आरोपी ख्वाजा युनूस की पुलिस हिरासत में मौत के केस में गिरफ्तार किया गया था। वह उस केस की वजह से 16 साल तक बाहर रहे थे और पिछले साल उनकी पुलिस फोर्स में वापसी हुई थी, जब महाराष्ट्र में नई सरकार आई। विनायक शिंदे प्रदीप शर्मा के साथ कांदिवली क्राइम ब्रांच में लंबे समय तक रहा था। बाद में शिंदे की पोस्टिंग अंधेरी के डी.एन.नगर पुलिस स्टेशन में हुई। वहां लखन भैया नामक आरोपी फर्जी एनकाउंटर में मारा गया। इसमें कई पुलिस वालों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। विनायक शिंदे भी उनमें से एक था। पिछले साल यानी मई, 2020 में वह पेरोल पर जेल से बाहर आया। उसके बाद वह सचिन वझे के संपर्क में आया और फिर वझे के लिए अवैध काम करने लगा। इनमें हिरेन मनसुख का मर्डर भी था।


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