ब्लॉगः भारत के राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय कानून से ऊपर नहीं है सोशल मीडिया

सोशल मीडिया 20वीं सदी के अंत में अस्तित्व में आया और 21वीं सदी की शुरुआत में बिना निगरानी वाला व्यापक जनसंचार माध्यम बन गया। अखबार जैसे पारंपरिक मीडिया प्लैटफॉर्म के उलट यहां कोई 'संपादक' नहीं होता, जो तय करे कि क्या चीज प्रकाशित की जाए और क्या नहीं। संपादक परंपरागत रूप से न सिर्फ निगरानी रखते हैं, बल्कि अपने प्लैटफॉर्म पर किसी शख्स द्वारा लिखी बातों के लिए कानूनी तौर पर जिम्मेदार भी होते हैं।

from India News: इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, भारत समाचार, Bharat Samachar, Bharat News in Hindi, coronavirus vaccine latest news update https://ift.tt/2R5vB7Z

Comments

Popular posts from this blog

फडणवीस की पत्नी ने पुकारा तो कंधे पर बैठ गया दुर्लभ 'टाइगर', यूं मिली नई जिंदगी!

चाय की जगह काढ़ा, सोशल डिस्टेंसिंग...UP असेंबली का बदला सा नजारा

वर्ल्ड किडनी डेः किडनी की बीमारी अब युवाओं पर पड़ रही भारी