गुलशन कुमार मर्डर: रउफ मर्चेंट की उम्रकैद सजा बरकरार, अब्दुल रशीद भी दोषी करार
मुंबई टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार मर्डर केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने राउफ मर्चेंट को दोषी ठहराए जाने का फैसला बरकरार रखा। इसके अलावा हाई कोर्ट ने दूसरे आरोपी अब्दुल राशिद को दोषी ठहराया है जिसे पहले सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया था। महाराष्ट्र सरकार ने अब्दुल राशिद को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की थी। अब्दुल राशिद को दोषी ठहराए जाने के साथ ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वहीं महाराष्ट्र सरकार की अपील खारिज करते हुए रमेश तौरानी को बरी किए जाने का फैसला बरकरार रखा। उन पर हत्या के लिए उकसाने का आरोप था। जस्टिस जाधव और बोरकर की बेंच ने इस केस का फैसला सुनाया। गुलशन कुमार से जुड़ी कुल चार याचिकाएं बॉम्बे हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी। इनमें तीन अपील रउफ मर्चेंट, राकेश चंचला और राकेश खाओकर को दोषी ठहराए जाने की खिलाफ की गई थीं। 1997 में गुलशन कुमार की हत्या की गई थी 12 अगस्त 1997 को गुलशन कुमार की हत्या कर दी गई थी। जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर उनके शरीर को 16 गोलियों से छलनी कर दिया गया। दाऊद इब्राहिम और अबू सलेम ने गुलशन कुमार की हत्या की साजिश रचने का नाम आया था। गुलशन कुमार की हत्या के लिए दो शार्प शूटरों को मंदिर के बाहर तैनात किया था। 2002 में सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा गुलशन कुमार ने 80 के दशक में टी सीरीज की स्थापना की थी। 90 के दशक वह कैसेट किंग के नाम से मशहूर हो गए थे। इस मामले में मर्चेंट को दोषी ठहराया गया था। साल 2002 में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थ। 2009 में बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल मिली थी लेकिन बाद में बांग्लादेश भाग गया था। फर्जी पासपोर्ट मामले में बांग्लादेश पुलिस ने उसे अरेस्ट किया था। पूर्व डीजीपी राकेश मारिया ने किया था खुलासा अबू सलेम के इस प्लान की जानकारी पुलिस को भी थी। पांच महीने पहले अप्रैल महीने में ही एक मुखबिर ने महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी राकेश मारिया को इस बारे में खबर दी थी। फोन पर कहा था, 'सर, गुलशन कुमार का विकेट गिरने वाला है।' राकेश मारिया ने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था।
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