एशिया के पहले ह्यूमन मिल्क बैंक पर भी कोरोना का असर, दूध डोनेशन में आई कमी

मोफीद खान, मुंबई 32 साल पहले एशिया का पहला 'ह्यूमन मिल्क बैंक' बीएमसी के सायन अस्पताल में शुरू किया गया था। इन तीन दशकों में न केवल इस बैंक के जरिए कई दुधमुंहे बच्चों को नई जिंदगी मिली, बल्कि इसके प्रति बढ़ती जागरूकता से ह्यूमन मिल्क बैंकों की संख्या भी बढ़ी। लेकिन कोरोना के प्रभाव से यह बैंक भी अछूता नहीं रहा। महामारी की वजह से दूध डोनेशन में 50 फीसदी की कमी आई है। इसके बावजूद यहां के स्टाफ ने जरूरतमंद मासूमों को दूध की कमी नहीं होने दी। आज विश्व ब्रेस्ट फीडिंग डे पर सायन अस्पताल के ह्यूमन मिल्क बैंक ने ब्रेस्ट फीडिंग को बढ़ावा देने के लिए अपनी जिम्मेदारी साझा करने की अपील की है। नियोनेटलॉजी और ह्यूमन मिल्क बैंक की प्रमुख डॉ. स्वाति मानेकर के अनुसार, जन्म के तुरंत बाद नवजात को मां का पीला गाढ़ा दूध पिलाना बेहद जरूरी है, लेकिन कई बार मां का दूध न बनने या किसी मेडिकल समस्या के कारण मां बच्चों को दूध नहीं पिला पाती है, ऐसे में ह्यूमन मिल्क बैंक बच्चों के लिए एक वरदान है। आंकड़ों के अनुसार, मिल्क बैंक शुरू होने के 3-4 सालों में सालाना 400 लीटर तक मां का दूध अस्पताल को डोनेट किया जाता था, जो बढ़कर 1200 लीटर तक पहुंच चुका था, लेकिन पिछले 15 माह में दूध की कमी देखी गई है। कोरोना काल से पहले 2018 में 1000 लीटर दूध डोनेट हुआ था, जो 2020 में घटकर 526 लीटर तक पहुंच गया। इस वर्ष 6 महीनों में महज 325 लीटर दूध डोनेट हुआ है। माताओं ने घर से किया डोनेशन डॉ. स्वाति मानेकर ने बताया कि ज्यादातर बैंकों को दूध अस्पतालों से मिलता है। डिलिवरी के बाद कई मांएं दूध डोनेट करती हैं, लेकिन अब माताओं ने घर से भी दूध डोनेट करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि हर महीने एक से दो फोन कॉल्स घर से दूध डोनेशन के लिए आते हैं। वर्ष----- डोनर--- दूध डोनेशन 2018--- 7700--- 1000 लीटर 2019--- 7300--- 880 लीटर 2020--- 6600--- 526 लीटर 2021----3500--- 325 लीटर


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