7 सालों में सबसे साफ रहा इस बार का अक्टूबर, लेकिन अब शुरू हो रहे हैं प्रदूषित दिन
नई दिल्ली: आमतौर पर राजधानी में प्रदूषण का कहर अक्टूबर के अंतिम दिनों में शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार का अक्टूबर पिछले 7 सालों में सबसे साफ रहा है। एक्सपर्ट के अनुसार इसकी वजह बारिश और हवाएं हैं। अक्टूबर में हुई बारिश की वजह से ही पराली जलाने के मामलों में भी कमी रही। हालांकि अब साल के सबसे प्रदूषित दिनों की शुरुआत हो रही है। अक्टूबर 2021 की बात करें, तो यह पहला मौका है जब राजधानी को अक्टूबर में एक भी बेहद खराब स्तर का दिन नहीं मिला। एक साफ दिन मिला। वहीं, औसत एक्यूआई भी सामान्य स्थिति का रहा। 19 दिन प्रदूषण सामान्य स्थिति का, तीन दिन संतोषजनक, एक दिन अच्छे और 8 दिन प्रदूषण खराब स्थिति में रहा है। स्मॉग की चादर पहली बार अक्टूबर में दूर रही है। महज एक से दो दिनों के लिए स्मॉग की हल्की परत नजर आई थी, लेकिन अब साल के सबसे प्रदूषित महीने नवंबर की शुरुआत हो रही है। दिवाली 4 नवंबर को है। पराली के मामले अब पीक पर रहने की संभावना है, क्योंकि बारिश की वजह से इस समय अभी तक पराली काफी बची है। पराली नहीं लोकल वजहों ने बढ़ाया दिल्ली का प्रदूषण अक्टूबर के अंतिम दिन प्रदूषण खराब स्थिति में रहा। वहीं अब पराली जलाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। रविवार को उत्तर भारत में पराली जलाने के 1734 मामले सामने आए। हालांकि पराली से अधिक इस समय राजधानी लोकल वजहों से प्रभावित है। सफर के मुताबिक पराली प्रदूषण महज आठ प्रतिशत रहा है। सीपीसीबी के एयर बुलेटिन के अनुसार रविवार को राजधानी का एक्यूआई थोड़ा बढ़कर 289 पर पहुंच गया। बहादुरगढ़ का एक्यूआई 264, बल्लभगढ़ का 362, भिवाड़ी 289, फरीदाबाद 250, गाजियाबाद 342, ग्रेटर नोएडा 292, गुरुग्राम 262 और नोएडा 292 पर रहे। सफर के मुताबिक पराली जलाने के 1734 मामले सामने आए हैं। पराली प्रदूषण आठ प्रतिशत रहा। अगले दो दिनों तक प्रदूषण का स्तर बेहद खराब रह सकता है। हवाओं की दिशा पश्चिमी और दक्षिणी पश्चिमी है। इन हवाओं की वजह से पराली का धुंआ रविवार को राजधानी में नहीं पहुंच पाया। आआईटीएम पुणे के अनुसार पंजाब में पराली जलाने के 1373, हरियाणा में 148 और यूपी में 53 मामले 30 अक्टूबर को सामने आए। एक नवंबर को पराली का प्रदूषण महज 5 प्रतिशत रह सकता है।
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