फैमिली कोर्ट से तलाक डिक्री के बाद पत्नी की गुजारा भत्ता की अर्जी में कुछ गलत नहीं

संजय पांडेय, प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि, फैमिली कोर्ट से तलाक की डिक्री मंजूर हो जाने के बाद भी पत्नी की गुजारा भत्ता के लिए दंप्रसं की धारा 125 के तहत अर्जी पोषणीय है। यह निर्णय जस्टिस एस ए एच रिजवी ने एयर फोर्स में स्क्वाड्रन लीडर पति याची तरुण पंडित की पुनरीक्षण अर्जी को खारिज करते हुए दिया है। पति ने फ़ैमिली कोर्ट गौतम बुद्ध नगर के 4 मार्च 2021 को पारित आदेश के उस भाग को पुनरीक्षण अर्जी में चुनौती दी थी जिसके द्वारा पत्नी को बतौर स्थाई गुजारा भत्ता 25 हजार मासिक देने का फेमिली कोर्ट ने निर्देश दिया था। हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए पति का कहना था कि पत्नी से तलाक हो चुका है। तलाक की डिक्री पारित हो गयी है । स्थाई गुजारा भत्ता का आदेश भी हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत दिया गया है। पैसा भी कोर्ट में जमा है । इस कारण विपक्षी पत्नी की धारा 125 दंप्रसं के तहत गुजारा भत्ता के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी खारिज किए जाने योग्य है। जबकि पत्नी का कहना था कि तलाक की डिक्री अभी अंतिम नहीं है । इस डिक्री के खिलाफ अपील लम्बित है। स्थाई गुजारा भत्ता स्वीकार नहीं किया गया है। इसे स्वीकार करने का मतलब डिक्री को स्वीकार करना माना जाएगा। कहा गया था कि स्थाई निर्वाह भत्ता की मांग नहीं की गयी थी। फैमिली कोर्ट ने स्वयं ऐसा आदेश दिया है। कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दिया और कहा कि पत्नी की गुजारा भत्ता व जीवन निर्वाह के लिए धारा 125 दंप्रसं के तहत दाखिल अर्जी मान्य है।


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