अवधनामाः जब बेबसी का दूसरा नाम बन गई नवाबी!

उर्दू के अजीम शायर मीर तकी मीर (1723-1810) के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने दिल्ली को उजड़ते और लखनऊ को आबाद होते देखा था। साठ पार की उम्र में नवाब आसफउद्दौला के बुलावे पर वह अपनी नई तराश और नए अंदाज पर इतराते लखनऊ में 'दाखिल-ए-महफिल' हुए तो लखनवी उन पर हंसे। उन्हें खुद पर हंसता देख अपना परिचय देते हुए उन्होंने कहा था- 'दिल्ली जो इक शहर था आलम में इंतिखाब, रहते थे मुंतखब ही जहां रोजगार के। उसको फलक ने लूट के वीरान कर दिया, हम रहने वाले हैं उसी उजड़े दयार के।'

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