Opinion: दक्षिण के हिंदी-विरोध को शांत कैसे किया जाए

मध्य प्रदेश की सरकार ने मेडिकल की किताबें हिंदी में क्या प्रकाशित कीं, अ-हिंदीभाषी राज्यों में तूफान-सा आ गया है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना के नेताओं और बंगाल के डॉक्टरों ने भी इस पहल की भर्त्सना शुरू कर दी है। तमिलनाडु विधानसभा ने सर्वसम्मति से उसके विरोध में प्रस्ताव भी पारित कर दिया है। उस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से कहा गया है कि वह संसद की राजभाषा समिति की सिफारिशें लागू करने से बाज आए। हालांकि विधानसभा में बैठे ये विद्वान विधायक संसदीय राजभाषा समिति की सिफारिशों को मोटे तौर पर ही देख लेते तो उन्हें मालूम पड़ जाता कि उस समिति ने उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं को माध्यम बनाने का निर्देश किया है, हिंदी थोपने का नहीं। बल्कि, उसने सभी शिक्षा-संस्थाओं को अंग्रेजी माध्यम चलाने की छूट भी दी है।

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