Opinion: राजनीति में जुबान का फिसलना कोई नई बात नहीं, फिर हास्यास्पद बयानों पर इतना हंगामा क्यों?

भारत की राजनीति में आजकल वाणी के संयम का लगभग रोज ही उल्लंघन हो रहा है। चाहे सत्तारुढ़ पार्टी के नेता हों या विपक्ष के, वे गाहे-बगाहे ऐसी बातें बोल पड़ते हैं कि उनकी अपनी पार्टियों के लोग भी दंग रह जाते हैं। कई बार पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ताओं को अपने ही नेताओं से असहमति व्यक्त करनी पड़ती है या कभी-कभी उनका खंडन भी करना पड़ जाता है। जहां तक आम लोगों का सवाल है, वे अपने इन नेताओं पर तरस खाकर रह जाते हैं, क्योंकि उनकी प्रतिक्रिया को तो प्रचारतंत्र में कोई स्थान नहीं मिलता है।

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